स्वास्थ्य-चिकित्सा >> चमत्कारिक जड़ी-बूटियाँ चमत्कारिक जड़ी-बूटियाँउमेश पाण्डे
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क्या आप जानते हैं कि सामान्य रूप से जानी वाली कई जड़ी बूटियों में कैसे-कैसे विशेष गुण छिपे हैं?
काली मिर्च
काली मिर्च के विभिन्न नाम
संस्कृत में- मरि (री) च, ऊष्ण, हिन्दी में- काली मिर्च, गोल मिर्च, मरिच, बंगाली में- गोलमरिच, मराठी में- मिरि, काले मिरि, गुजराती में- मरी, कालामरी, अरबी में- अलफिल फिलुल अस्वद, फारसी में- फिंलफिने स्याह, पिलपिल, अंग्रेजी में-Piper nigrum L. (पाईपर नाईग्रम), Blackpiper (ब्लैक पेपर)
वानस्पति कुल- Piperaceae
काली मिर्च का संक्षिप्त परिचय
काली मिर्च एक लता जाति का पौधा है जिसका तना काष्ठीय होता है। इसका तना स्तम्भाकार होता है जो गठानों पर अधिक मोटा होता है। इसकी पत्तियां 4 से 7 इंच तक लम्बी तथा 2 से 5 इंच तक चौड़ी होती हैं। ये आयताकार अथवा लट्वाकार होती हैं तथा नीचे की तरफ हृदयाकार होती हैं। प्रत्येक पर्ण पर 5 से 9 तक शिरायें स्पष्ट दिखाई देती हैं। पत्तियों में लगभग 1 इंच तक लम्बे वृन्त होते हैं। पुष्प लम्बी-लम्बी मंजरियों पर लगते हैं, फल गोल-गोल, छोटे तथा व्यास में लगभ 0.5 से.मी. तक होते हैं। पकने पर यह लाल हो जाते हैं। ये फल सूखने पर झुरींदार, सुगन्धित एवं स्वाद में तीखे होते हैं।
आयुर्वेदानुसार काली मिर्च एक दीपन-पाचक,ज्वरनाशक, वात-कफनाशक,कासनाशक, प्रतिश्यायहारी तथा नाड़ी को बल देने वाली वनस्पति है। औषधि के रूप में इसके फलों का ही प्रयोग होता है।
कालीमिर्चका औषधीय महत्त्व
ऐसा व्यक्ति मिलना अत्यन्त कठिन है जो कालीमिर्च से परिचित न हो। यह हमारे दैनिक उपयोग में लाये जाने वाले मसालों में से एक प्रमुख घटक है। हमारे सभी प्रकार के मसाले न केवल भोजन का स्वाद बढ़ाते हैं, अपितु स्वास्थ्य रक्षा एवं रोग मुक्ति में भी इनकी बहुत बड़ी भूमिका है। यहाँ कालीमिर्च के कुछ सामान्य प्रयोगों के बारे में बताया जा रहा है। इनका प्रयोग आप सहजता के साथ कर सकते हैं:-
> पेट के रोगों में कालीमिर्च का विशेष प्रयोग करने पर शीघ्र आराम मिलता है। अजीर्ण और अफारा की स्थिति में बराबर मात्रा में कालीमिर्च, सौंठ, पीपल तथा हरड़ चूर्ण में शहद मिलाकर चाटने से लाभ मिलता है।
> यह अत्यन्त आसान तथा अति उपयोगी है। एक कप पानी मे आधा नींबू निचोड़ लें। इसमें 6-7 कालीमिर्च को पीसकर मिला लें। इसे सुबह-शाम भोजन के पश्चात् पीने से भूख नहीं लगने की शिकायत समाप्त होगी और खुल कर भूख लगेगी। अधिक भूख लगने की समस्या भी इसी प्रयोग से दूर होती है।
> जुकाम की स्थिति में यह प्रयोग करें-2 ग्राम कालीमिर्च को पीसकर चूर्ण बना लें। गर्म दूध में आवश्यकतानुसार मिश्री मिला लें। कालीमिर्च के चूर्ण को फांक कर ऊपर से दूध पी लें। इससे जुकाम में लाभ मिलेगा।
> पेट में कीड़े की समस्या है तो यह प्रयोग करें- 5-6 कालीमिर्च को पीसकर चूर्ण कर लें। सुबह कालीमिर्च का चूर्ण फांक कर ऊपर से छाछ पी लें। ऐसा करने से पेट के कीड़े मर कर बाहर निकल जाते हैं।
> सिर की जुओं को मारने के लिये यह प्रयोग करें- सीताफल के 10-12 बीज तथा 7-8 कालीमिर्च को मिलाकर अच्छी प्रकार से पीस लें। दो-तीन चम्मच सरसों के तेल में इस चूर्ण के मिश्रण को ठीक से मिला लंछ और बालों की जड़ों में अच्छी प्रकार से लगा लें। ऐसा सोने से पूर्व करें और सुबह बालों को धो लें। सिर की जुयें मर कर बाहर आ जायेंगी।
> आँखों की रोशनी में काली मिर्च का प्रयोग अत्यन्त लाभप्रद है। इसके लिये आप 50 ग्राम कालीमिर्च का बारीक चूर्ण बना लें। 200 ग्राम मिश्री लेकंर उसका भी चूर्ण बना लें। इन दोनों को मिलाकर एक बड़े बर्तन में रख दें। अब 250 ग्राम शुद्ध घी (अगर गाय का मिले तो और भी अच्छा है) गर्म करें। घी को ठण्डा होने दें। हल्का गर्म रहने पर इसे मिश्रीकालीमिर्च के पाउडर में ठीक से मिला दें। अगर घी कम लगे तो आवश्यकता के अनुसार और मिला लें। अब इस मिश्रण की एक चम्मच मात्रा लेकर खायें और ऊपर से हल्का गर्म दूध पी लें। ऐसा आप सुबह-शाम करें। इससे दृष्टि को बल मिलता है, जल्दी दृष्टिकमजोर नहीं होती है। यह अत्यन्त उपयोगी उपाय है।
> नेत्रों के लिये एक और आसान तथा उपयोगी उपाय है। आधा ग्राम कालीमिर्च के चूर्ण को एक चम्मच देशी घी में हल्का गर्म करके सेवन करने से आँखों से सम्बन्धित अनेक समस्यायें समाप्त होकर दृष्टि को बल मिलता है।
> आलस्य आदि में यह उपाय करें- 5-6 कालीमिर्च तथा लौंग, थोड़ी दालचीनी, थोड़ी सौंठ, 2-3 हरी इलायची, इन सभी को कूट कर चूर्ण बना लें। इनका चूर्ण एक गिलास दूध में मिलाकर सेवन करें। आवश्यकतानुसार मिश्री मिला लें। इसके सेवन से आलस्य एवं दुर्बलता दूर होती है।
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- उपयोगी हैं - वृक्ष एवं पौधे
- जीवनरक्षक जड़ी-बूटियां
- जड़ी-बूटियों से संबंधित आवश्यक जानकारियां
- तुलसी
- गुलाब
- काली मिर्च
- आंवला
- ब्राह्मी
- जामुन
- सूरजमुखी
- अतीस
- अशोक
- क्रौंच
- अपराजिता
- कचनार
- गेंदा
- निर्मली
- गोरख मुण्डी
- कर्ण फूल
- अनार
- अपामार्ग
- गुंजा
- पलास
- निर्गुण्डी
- चमेली
- नींबू
- लाजवंती
- रुद्राक्ष
- कमल
- हरश्रृंगार
- देवदारु
- अरणी
- पायनस
- गोखरू
- नकछिकनी
- श्वेतार्क
- अमलतास
- काला धतूरा
- गूगल (गुग्गलु)
- कदम्ब
- ईश्वरमूल
- कनक चम्पा
- भोजपत्र
- सफेद कटेली
- सेमल
- केतक (केवड़ा)
- गरुड़ वृक्ष
- मदन मस्त
- बिछु्आ
- रसौंत अथवा दारु हल्दी
- जंगली झाऊ